संस्कृत भाषा में लकार कुल दस होते हैं।
- लट् लकार (Present Tense)
- लोट् लकार (Imperative Mood)
- लङ्ग् लकार (Past Tense)
- लृट् लकार (Second Future Tense)
- विधिलिङ्ग् लकार (Potential Mood)
- आशीर्लिन्ग लकार (Benedictive Mood)
- लिट् लकार (Past Perfect Tense)
- लुट् लकार (First Future Tense or Periphrastic)
- लृङ्ग् लकार (Conditional Mood)
- लुङ्ग् लकार (Perfect Tense)
उनमें से सबसे मुख्य पाँच लकार होते हैं। (लट् लकार, लङ् लकार, लोट् लकार, लृट् लकार तथा विधि लिङ् लकार) ही प्रचलन में है और इन्ही संस्कृत लाकर का सबसे ज्यादा प्रयोग भी किया जाता है।
इस बात को स्मरण रखने के लिए कि धातु से कब किस लकार को जोड़ेंगे, निम्न श्लोक स्मरण कर लीजिए-
लट् वर्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिटस्तथा ।
विध्याशिषोर्लिङ् लोटौ च लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति ॥
अर्थात् लट् लकार वर्तमान काल में, लेट् लकार केवल वेद में, भूतकाल में लुङ् लङ् और लिट्, विधि और आशीर्वाद में लिङ् और लोट् लकार तथा भविष्यत् काल में लुट् लृट् और लृङ् लकारों का प्रयोग किया जाता है।
लट् लकार (Present Tense)
लट् लकार – (वर्तमान काल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। क्रिया के जिस रूप से कार्य का वर्तमान समय में होना पाया जाता है, उसे वर्तमान काल कहते हैं, जैसे- राम घर जाता है- रामः गृहं गच्छति। इस वाक्य में ‘जाना’ क्रिया का प्रारम्भ होना तो पाया जाता है, लेकिन समाप्त होने का संकेत नहीं मिल रहा है। ‘जाना’ क्रिया निरन्तर चल रही है। अतः यहाँ वर्तमान काल है। क्रिया सदैव अपने कर्ता के अनुसार ही प्रयुक्त होती है। कर्त्ता जिस पुरुष, वचन तथा काल का होता है, क्रिया भी उसी पुरुष, वचन तथा काल की ही प्रयुक्त होती है। यह स्पष्ट ही किया जा चुका है कि मध्यम पुरुष में युष्मद् शब्द (त्वम्) के रूप तथा उत्तम पुरुष में अस्मद् शब्द (अहम्) के रूप ही प्रयुक्त होते हैं। शेष जितने भी संज्ञा या सर्वनाम के रूप हैं, वे सब प्रथम पुरुष में ही प्रयोग किये जाते हैं।
1. युष्मद् तथा अस्मद् के रूप स्त्रीलिंग तथा पुल्लिंग में एक समान ही होते हैं।
2. वर्तमान काल की क्रिया के आगे ‘स्म‘ जोड़ देने पर वह भूतकाल की हो जाती है, जैसे– रामः गच्छति। (राम जाता है), वर्तमान काल- रामः गच्छति स्म। (राम गया था) भूत काल।
लोट् लकार (Imperative Mood)
लोट् लकार – (आज्ञार्थक), वाक्य, उदाहरण, अर्थ, आज्ञा, प्रार्थना अनुमति, आशीर्वाद आदि का बोध कराने के लिये लोट् लकार का प्रयोग किया जाता है।
लङ्ग् लकार (Past Tense)
लङ् लकार – (अनद्यतन भूत काल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत. अनद्यतन भूत में लङ् लकार होता है, जो कार्य आज से पूर्व हो चुका है अर्थात् क्रिया आज समाप्त नहीं हुई बल्कि कल या उससे भी पूर्व हो चुकी है, वह अनद्यतन काल होता है।
लृट् लकार (Second Future Tense)
लृट् लकार – (सामान्य भविष्यत काल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत. सामान्य भविष्यत काल में ‘लुट् लकार’ का प्रयोग किया जाता है। क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में सामान्य रूप से होने का पता चले, उसे ‘सामान्य भविष्यत काल’ कहते हैं; जैसे – विमला पुस्तकं पठिष्यति। (विमला पुस्तक पढ़ेगी।)
विधिलिङ्ग् लकार (Potential Mood)
विधिलिङ् लकार – (चाहिए के अर्थ में), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत विधि (चाहिये)निमन्त्रण, आदेश, विधान, उपदेश, प्रश्न तथा प्रार्थना आदि अर्थों का बोध कराने के लिये विधि लिङ् लकार का प्रयोग किया जाता है ।
आशीर्लिन्ग लकार (Benedictive Mood)
आशीर्लिन्ग लकार – (आशीर्वादात्मक), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत. आशीर्वाद के अर्थ में आशीलिङ् लकार का प्रयोग किया जाता है, जैसे– रामः विजीयात्। (राम विजयी हो।)
लिट् लकार (Past Perfect Tense)
लिट् लकार – (परोक्ष भूत काल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत. ‘परोक्ष भूत काल’ में लिट् लकार का प्रयोग होता है। जो कार्य आँखों के सामने पारित होता है, उसे परोक्ष भूतकाल कहते हैं।
उत्तम पुरुष में लिट् लकार का प्रयोग केवल स्वप्न या उन्मत्त अवस्था में ही होता है; जैसे– सुप्तोऽहं किल विलाप। (मैंने सोते में विलाप किया।)
या जो अपने साथ न घटित होकर किसी इतिहास का विषय हो । जैसे :– रामः रावणं ममार । ( राम ने रावण को मारा ।)
लुट् लकार (First Future Tense or Periphrastic)
लुट् लकार – (अनद्यतन भविष्यत काल) में लुट् लकार का प्रयोग होता है। बीती हुई रात्रि के बारह बजे से, आने वाली रात के बारह बजे तक के समय को ‘अद्यतन’ (आज का समय) कहा जाता है। आने वाली रात्रि के बारह बजे के बाद का जो समय होता है उसे अनद्यतन भविष्यत काल कहते हैं; जैसे – अहं श्व: गमिष्यामि। (मैं कल जाऊँगा)
लृङ्ग् लकार (Conditional Mood)
लृङ्ग् लकार – (हेतु हेतुमद भूतकाल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत. क्रियातिपत्ति में लृङ्ग् लकार होता है। जहाँ पर भूतकाल की एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होती है, वहाँ पर हेतु हेतुमद भूतकाल होता है। इस काल के वाक्यों में एक शर्त सी लगी होती है; जैसे– यदि अहम् अपठिष्यम् तर्हि विद्वान अभविष्यम्। (यदि मैं पढ़ता तो विद्वान् हो जाता।). जब किसी क्रिया की असिद्धि हो गई हो । जैसे :- यदि त्वम् अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् भवितुम् अर्हिष्यत् । (यदि तू पढ़ता तो विद्वान् बनता।)
लुङ्ग् लकार (Perfect Tense)
लुङ्ग् लकार – (सामान्य भूत काल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत. लुङ् लकार में सामान्य भूत काल का प्रयोग होता है। क्रिया के जिस रूप में भूतकाल के साधारण रूप का बोध होता है, उसे सामान्य काल कहते हैं। सामान्य भूत काल का प्रयोग प्रायः सभी अतीत कालों के लिये किया जाता है; जैसे– अहं पुस्तकम् अपाठिषम्। (मैंने पुस्तक पढ़ी।)