हिन्दू सनातन धर्म – तिलक (Tilak) या तिलक-चिह्न

हिन्दू सनातन धर्म में तिलक (Tilak) या तिलक-चिह्न का विशेष महत्व है। तिलक केवल सजावट नहीं बल्कि यह आध्यात्मिक, धार्मिक और दार्शनिक पहचान भी दर्शाता है। अलग-अलग सम्प्रदाय, परम्पराएँ और देवताओं की उपासना पद्धति के अनुसार तिलक के कई प्रकार होते हैं।

प्रमुख तिलक के प्रकार :

1. ऊर्ध्वपुण्ड्र तिलक (Urdhva Pundra) इसे वैष्णव तिलक कहा जाता है।माथे पर दो ऊर्ध्व रेखाएँ (U आकार) होती हैं और बीच में श्रीचरण या राम-शालिग्राम की रेखा होती है।यह विष्णु और उनके अवतारों के उपासकों का चिह्न है।
2. त्रिपुण्ड्र तिलक (Tripundra) यह तीन क्षैतिज रेखाओं वाला तिलक है, जिसे भस्म या राख से बनाया जाता है।यह भगवान शिव के उपासकों का तिलक है।बीच में लाल बिन्दु (कुमकुम/चंदन) लगाने की भी परंपरा है।
3. ऊर्ध्वपुण्ड्र-त्रिपुण्ड्र मिश्रित तिलककुछ संप्रदाय दोनों का सम्मिश्रण करते हैं।
4. शैव तिलक (Vibhuti Tilak) शिवभक्त भस्म से माथे पर क्षैतिज रेखा या बिन्दु लगाते हैं।
5. वैष्णव तिलक (Urdhva Rekha) श्रीवैष्णव सम्प्रदाय में चंदन से ‘U’ आकार और बीच में लाल/पीला चिन्ह बनाया जाता है।
6. शाक्त तिलकशक्ति उपासक प्रायः लाल रंग (कुमकुम/सिन्दूर) का बिन्दु या तिलक लगाते हैं। कभी-कभी त्रिकोण अथवा लाल बिन्दु भी प्रयोग करते हैं।
7. रामानुज सम्प्रदाय तिलक ‘U’ आकार के चंदन तिलक के बीच में लाल रेखा होती है।
8. मध्व सम्प्रदाय तिलकचंदन से सीधी रेखा, बीच में काले (गंध/काजल) का चिन्ह।
9. गौड़ीय वैष्णव तिलकनाक की जड़ से ऊपर तक जाती दो रेखाएँ, नीचे तुलसी पत्र या बिन्दु का चिन्ह।
10. श्रीचक्र/त्रिपुण्ड्र-बिन्दु तिलक (शाक्त परंपरा में) शक्ति साधना में माथे पर लाल बिन्दु और त्रिपुण्ड्र का मेल भी देखा जाता है।

संक्षेप में मुख्यतः 3 आधार प्रकार माने जाते हैं –1. ऊर्ध्वपुण्ड्र (वैष्णव तिलक) 2. त्रिपुण्ड्र (शैव तिलक) 3. बिन्दु तिलक (शाक्त तिलक) बाकी सारे तिलक इन्हीं के भेद या संप्रदाय विशेष के अनुसार रूप होते हैं।

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